सर्प

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साँचा:आज का आलेख

साँप

"साँप" या "सर्प", पृष्ठवंशी सरीसृप वर्ग के प्राणी छीकै। ई जल तथा थल दोनों जगह पयलो जाय छै। हेकरो शरीर लम्बा रस्सी के समान होय छै, जे पूरा के पूरा स्केल्स स ढँकलो रहै छै। साँप के पैर नय होय छै। ई निचला भाग उपस्थित घड़ारियों के सहायता से चलै फीरै छै। सांप क स्पष्टतः कान भी नय होय छै, बल्कि हेकरा उ आंतरिक ध्वनि-तंत्र होय छै। हेकरो कान के पर्दे के बजाय ऐगो बेहद छोटा सा आंतरिक हड्डी होय छै,जे बेहद संवेदनशील होय छै। पहिनऺ ध्वनि भूमि द्वारा त्वचा ग्रहण करै छै, आरू फीरू धमनी द्वारा मस्तिष्क के पास के हड्डी तक पहुँचै छै। जब हवा स ध्वनि आबै छै, त मस्तिष्क के कंकाल म कंपन होला स आवाज सुनाई देय छै । हेकरो आँख म पलक नय होय छै,ई हमेशा खुल्लो रहै छै। साँप विषैला तथा विषहीन दोनों प्रकार के होय छै।[१] इसके ऊपरी और निचले जबड़े की हड्डियाँ इस प्रकार की सन्धि बनाती है जिसके कारण इसका मुँह बड़े आकार में खुलता है। इसके मुँह में विष की थैली होती है जिससे जुडे़ दाँत तेज तथा खोखले होते हैं अतः इसके काटते ही विष शरीर में प्रवेश कर जाता है। दुनिया में साँपों की कोई २५००-३००० प्रजातियाँ पाई जाती हैं। जिनमे से भारत में जहरीला सर्पो की ६९ प्रजाति ज्ञात्त है जिनमे से २९ समुद्री सर्प तथा ४० स्थलीय सर्प है जहरीले सर्प के सिर में जहरीला संचालक तथा ऊपरी जबड़े में एक जोड़ी जबड़े पाये जाते है । बिषहीन सर्पो के काटने पर अनेको छोटे गड्ढे सेमि सरकल में पाये जाते है।जबकि बिषाक्त सर्पो में केवल दो गहरे गड्ढे पाये जाते है।[२] इसकी कुछ प्रजातियों का आकार १० सेण्टीमीटर होता है जबकि अजगर नामक साँप २५ फिट तक लम्बा होता है। साँप मेढक, छिपकली, पक्षी, चूहे तथा दूसरे साँपों को खाता है। यह कभी-कभी बड़े जन्तुओं को भी निगल जाता है। सरीसृप वर्ग के अन्य सभी सदस्यों की तरह ही सर्प शीतरक्त का प्राणी है अर्थात् यह अपने शरीर का तापमान स्वंय नियंत्रित नहीं कर सकता है। इसके शरीर का तापमान वातावरण के ताप के अनुसार घटता या बढ़ता रहता है। यह अपने शरीर के तापमान को बढ़ाने के लिए भोजन पर निर्भर नहीं है इसलिए अत्यन्त कम भोजन मिलने पर भी यह जीवीत रहता है। कुछ साँपों को महीनों बाद-बाद भोजन मिलता है तथा कुछ सर्प वर्ष में मात्र एक बार या दो बार ढेड़ सारा खाना खाकर जीवीत रहते हैं। खाते समय साँप भोजन को चबाकर नहीं खाता है बल्कि पूरा का पूरा निकल जाता है। अधिकांश सर्पों के जबड़े इनके सिर से भी बड़े शिकार को निगल सकने के लिए अनुकुलित होते हैं। अफ्रीका का अजगर तो छोटी गाय आदि को भी नगल जाता है। विश्व का सबसे छोटा साँप थ्रेड स्नेक होता है। जो कैरेबियन सागर के सेट लुसिया माटिनिक तथा वारवडोस आदि द्वीपों में पाया जाता है वह केवल १०-१२ सेंटीमीटर लंबा होता है। विश्व का सबसे लंबा साँप रैटिकुलेटेड पेथोन (जालीदार अजगर) है, जो प्राय: १० मीटर से भी अधिक लंबा तथा १२० किलोग्राम वजन तक का पाया जाता है। यह दक्षिण -पूर्वी एशिया तथा फिलीपींस में मिलता है।[३]

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  2. http://www.reptileknowledge.com/articles/article9.php | accessondate=25.02.2008
  3. लुआ त्रुटि मोड्यूल:Citation/CS1/Utilities में पंक्ति 38 पर: bad argument #1 to 'ipairs' (table expected, got nil)।