मगही भाषा
मगही एगो भासा के नाँव छेकै जे भारत केरौ मध्य पूर्व मँ बोलै जाबै बला एगो प्रमुख भासा छेकै। इ भासा भारतीय संविधान के आठमां अनुसूची मँ शामिल छै। इ हिन्द-आर्य भासा परिवार सँ छै। एकरौ निकट क संबंध भोजपुरी भाषा आरो अंगिका भाषा सँ छै, आरो सामन्यतः इ भासा क एक्केगो के साथ बिहारी भासा केरौ रूप मँ रखी देलौ जाबै छै।
उद्धव
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]ऐस्नौ विद्वान सिनी क मानना छै की मगही संस्कृत भासा सँ जन्मली हिन्द आर्य भासा छेकै, परंतु महावीर आरो बुद्ध दोनो केरौ उपदेश क भासा मागधीये छेलै। बुद्ध न भासा क प्राचीनता केरौ प्रश्न प स्पष्ट कहलौ छै- ‘सा मागधी मूल भासा’। अतः इ मगही ‘मागधी’ सँ ही निकललौ भासा छेकै। एकरौ लिपि कैथी छेकै।
भासाई इतिहास
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]मगही क धार्मिक भासा केरौ रूपो मँ पहचान छै। ढेरी जैन धर्मग्रंथ मगही भासा मँ लिखलौ गेलौ छै। मुख्य रूप सँ वाचिक परंपरा केरौ रूप मँ हैय आय्यो जीवित छै। मगही क पहलौ महाकाव्य गौतम महाकवि योगेश द्वारा 1960-62 केरौ बीच मँ लिखलौ गेलौ छै। दर्जन पुरस्कार सँ सम्मानित योगेश्वर प्रसाद सिन्ह योगेश आधुनिक मगही केरौ सबसँ लोकप्रिय कवि मानलौ जाबै छै। 23 अक्तुबर क हुन्कौ जयन्ति क मगही दिवस केरौ रूप मँ मनैलौ जाय छै। मगही भासा मँ विशेष योगदान हेतु सन् 2002 सँ रामप्रसाद सिंह क साहित्य अकादमी भासा सम्मान देलौ गेलै।
जनसांख्यिकी
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]मगही बोलै बला क संख्या (2002) मँ लगभग 1 करोड़ 30 लाख छेलै। मुख्य रूप सँ इ बिहार केरौ गया जिला, पटना, राजगीर, नालंदा जिला, जहानाबाद, अरवल जिला, नवादा जिला, औरंगाबाद केरौ क्षेत्रौ मँ बोललौ जाबै छै।
लेखन शैली
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]मगही भाषा क देवनागरी अथवा कयथी लिपि मँ लिखलौ जाबै छै।