सामग्री प जा

आर्यभट्ट केरो संख्यापद्धति

विकिपीडिया केरौ बारे मँ
संख्या सिनी क शब्दो मँ बदलै लेली आर्यभट द्वारा प्रयुक्त पद्धति केरो तालिका

आर्यभट्ट ने आर्यभटीय के 'गीतिकापादम्' नामक अध्याय मँ संख्या सब क 'शब्दो' के रूप मँ बदलै के पद्धति केरो विवरण देलो छै। ई पद्धति केरो मुख्य विशेषता ई छेकै कि एकरो उपयोग सँ गणित आरू खगोलिकी मँ आबै वाला संख्या भी श्लोको मँ आसानी सँ प्रयुक्त करलो जाबै सकै छै। ई पद्धति केरो आधार आर्यभट्ट केरो महान रचना आर्यभटीय केरो प्रथम अध्याय (गीतिकापदम्) केरो द्वितीय श्लोक मँ वर्णित छै।

आर्यभट क अपनो ग्रंथ पद्य मँ लिखना छेलै । गणित आरू ज्योतिष केरो विषयो क श्लोकबद्ध करना छेलै। प्रचलित शब्दांकों सँ आर्यभट के काम नै चलै सकै छेलै । ई लेली हुनी संस्कृत वर्णमाला केरो उपयोग करी क एगो नयो वर्णांक या अक्षरांक पद्धति क जनम देलकै। संस्कृत व्याकरण केरो विशिष्ट शब्दो के उपयोग करी क आर्यभट नँ अपनो नयो अक्षरांक-पद्धति केरो सब्भे नियम एक्के श्लोक मँ भरी देलकै। ग्रंथ केरो आरंभ मँ ही अपनो नयो अक्षरांक पद्धति क प्रस्तुत करी देला के बाद आर्यभट अबै बड़ौ-बड़ौ संख्या सब क अत्यंत संक्षिप्त रूप मँ प्रस्तुत रूप मँ रखै मँ समर्थ छेलै। हुनी शब्दांको के भी काफी प्रयोग करले छै।

वू अद्भुत श्लोक छेकै-

वर्गाक्षराणि वर्गेऽवर्गेऽवर्गाक्षराणि कात् ङ्गौ यः ।
खद्विनवके स्वरा नव वर्गेऽवर्गे नवान्त्यवर्गे वा ॥ (आर्यभटीय गीतिकापाद २)

अर्थात् क सँ प्रारंभ करी क वर्ग अक्षरो क वर्ग स्थानो मँ आरू अवर्ग अक्षरो क अवर्ग स्थानो मँ (व्यवहार करना चाहिय्यो), (इ प्रकार) ङ आरू म केरो जोड़ य (होय छै)। वर्ग आरू अवर्ग स्थानो के नव केरो दूना शून्य सब क नव स्वर व्यक्त करै छै। नव वर्ग स्थानो आरू नव अवर्ग स्थानो के पश्चात् (अर्थात् एकरा सँ अधिक स्थानो के उपयोग केरो आवश्यकता होला पर) यहै नव स्वरो के उपयोग करना चाहिय्यो।

'आर्यभटीय' केरो भाष्यकार परमेश्वर कहै छै- 'केनचिदनुस्वारादिविशेषण संयुक्ताः प्रयोज्या इत्यर्थः' अर्थात् कोनो अनुस्वार आरनि विशेषणों के उपयोग (स्वरो मँ) करना चाहि्यो।

संस्कृत वर्णमाला में क से म तक पच्चीस वर्ग अक्षर हैं और य से ह तक आठ अवर्ग अक्षर हैं। संख्याओं के लिखने में दाहिनी ओर से पहला, तीसरा, पाँचवाँ अर्थात् विषम स्थान और दूसरा, चौथा, छठा आदि सम स्थान अवर्ग स्थान है। क से म तक 25 अक्षर हैं। आर्यभट ने इन्हें 1 से 25 तक मान दिए हैं अर्थात् क = 1, ख = 2, ग = 3 आदि । य अवर्ग अक्षर है। इसका मान ङ और म के योग के बराबर अर्थात् 30 है। इसी प्रकार र = 40, ल = 50 और ह = 100।[]

अइउण। ऋलुक् । एओङ्। ऐऔच् । अर्थात् अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ऐ, ओ तथा औ नव स्वर हैं। इन स्वरों का उपयोग नव वर्ग और नव अवर्ग स्थानों को प्रकट करने के लिए करना है।

उदाहरण:  299,792,458
100 101 102 103 104 105 106 107 108
 85,  42,  97,  99, 2
साँचा:Script साँचा:Script साँचा:Script साँचा:Script साँचा:Script

सम्पूर्ण सारणी नीचे दी गयी है -

संस्कृत के 33 × 9  =  297   वर्णांक
9 स्वर   -a -i -u -साँचा:IAST -साँचा:IAST -e -ai -o -au  
         
    ×     10 0   10 2   10 4   10 6   10 8   1010   1012   1014   1016  
Five velar plosives                      
k - 1  
कि
कु
कृ
कॢ
के
कै
को
कौ
 
kh - 2  
खि
खु
खृ
खॢ
खे
खै
खो
खौ
 
g - 3  
गि
गु
गृ
गॢ
गे
गै
गो
गौ
 
gh - 4  
घि
घु
घृ
घॢ
घे
घै
घो
घौ
 
साँचा:IAST - 5  
ङि
ङु
ङृ
ङॢ
ङे
ङै
ङो
ङौ
 
Five palatal plosives                      
c - 6  
चि
चु
चृ
चॢ
चे
चै
चो
चौ
 
ch - 7  
छि
छु
छृ
छॢ
छे
छै
छो
छौ
 
j - 8  
जि
जु
जृ
जॢ
जे
जै
जो
जौ
 
jh - 9  
झि
झु
झृ
झॢ
झे
झै
झो
झौ
 
ñ - 10  
ञि
ञु
ञृ
ञॢ
ञे
ञै
ञो
ञौ
 
Five retroflex plosives                      
साँचा:IAST - 11  
टि
टु
टृ
टॢ
टे
टै
टो
टौ
 
साँचा:IAST - 12  
ठि
ठु
ठृ
ठॢ
ठे
ठै
ठो
ठौ
 
साँचा:IAST - 13  
डि
डु
डृ
डॢ
डे
डै
डो
डौ
 
साँचा:IAST - 14  
ढि
ढु
ढृ
ढॢ
ढे
ढै
ढो
ढौ
 
साँचा:IAST - 15  
णि
णु
णृ
णॢ
णे
णै
णो
णौ
 
Five dental plosives                      
t - 16  
ति
तु
तृ
तॢ
ते
तै
तो
तौ
 
th - 17  
थि
थु
थृ
थॢ
थे
थै
थो
थौ
 
d - 18  
दि
दु
दृ
दॢ
दे
दै
दो
दौ
 
dh - 19  
धि
धु
धृ
धॢ
धे
धै
धो
धौ
 
n - 20  
नि
नु
नृ
नॢ
ने
नै
नो
नौ
 
Five labial plosives                      
p - 21  
पि
पु
पृ
पॢ
पे
पै
पो
पौ
 
ph - 22  
फि
फु
फृ
फॢ
फे
फै
फो
फौ
 
b - 23  
बि
बु
बृ
बॢ
बे
बै
बो
बौ
 
bh - 24  
भि
भु
भृ
भॢ
भे
भै
भो
भौ
 
m - 25  
मि
मु
मृ
मॢ
में
मैं
मो
मौ
 
Four approximants or trill                      
y - 30  
यि
यु
यृ
यॢ
ये
यै
यो
यौ
 
r - 40  
रि
रु
रृ
रॢ
रे
रै
रो
रौ
 
l - 50  
लि
लु
लृ
लॢ
ले
लै
लो
लौ
 
v - 60  
वि
वु
वृ
वॢ
वे
वै
वो
वौ
 
Three coronal fricatives                      
ś - 70  
शि
शु
शृ
शॢ
शे
शै
शो
शौ
 
साँचा:IAST - 80  
षि
षु
षृ
षॢ
षे
षै
षो
षौ
 
s - 90  
सि
सु
सृ
सॢ
से
सै
सो
सौ
 
One glottal fricative                      
h - 100  
हि
हु
हृ
हॢ
हे
है
हो
हौ