सिद्धि

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'सिद्धि' के शाब्दिक अर्थ छीकै - 'पूर्णता', 'प्राप्ति', 'सफलता' आदि। ई शब्द महाभारत म मीलै छै। पंचतंत्र म कोय असामान्य कौशल या क्षमता अर्जित करै क 'सिद्धि' कहलो गेलो छै। मनुस्मृति म हेकरो प्रयोग 'ऋण चुकता करै' के अर्थ म होलो छै।

सांख्यकारिका तथा तत्व समास म, अर्थात तांत्रिक बौद्ध सम्प्रदाय म हेकरो विशिष्ट अर्थ छै - चमत्कारिक साधन द्वारा 'अलौकिक शक्ति के अर्जन' ; जैसें - दिव्यदृष्टि, उड़ना, एक ही समय म दु स्थान प उपस्थित रहना, अपनो आकार परमाणु के तरह छोटं करी लेना, पूर्व जन्म के घटना के स्मृति प्राप्त करी लेना, आदि। माध्वाचार्य के सर्वदर्शनसंग्रह म भी 'सिद्धि' यहु अर्थ मे प्रयुक्त होलो छै।

पतंजलि के योगसूत्र म कहलो गेलो छै-

जन्म औषधि मंत्र तपः समाधिजाः सिद्धयः

(अर्थात जन्म स, औषधि द्वारा, मंत्र स, तप स आरू समाधि स सिद्धि प्राप्त करलो जाबे सकै छै।)