मंदार पर्वत

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मंदार पर्वत के हिन्दू मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन मं देवता सिनी नं मन्दराचल (मंदार पर्वत) के मथनी बनैलॉ छेलै। पौराणिक काल सं खाड़ॉ मंदार आइयो लोगॉ के आस्था के पर्वत छेकै। एकरा मंदराचल या मंदार पर्वतो कही छै। इ बांका जिला मं अवस्थित छै। जे बिहार राज्य मं स्थित छै आरू आदिवासी समाज के बहुत सुंदर जगह छेकै।

स्थिति[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]

बिहार राज्य के बांका जिला के बौंसी (Bounsi) मं इ पर्वत स्थित छै। भागलपुर सं बौंसी पहुँचै सं पूर्व स्टेट हाइवे - 19 आरू मंदार विद्यापीठ हॉल्ट के करीब इ पर्वत छै। यहाँ सं भागलपुर 50 किलोमीटर छै। इ पर्वत अक्षांश 240 50’ उत्तर तथा देशांतर 870 4’ पूरब मं अवस्थित छै।

मान्यता[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]

ई एगो लोकप्रिय मान्यता छेकै कि भगवान विष्णु हरदम्मे मंदार पर्वत पर निवास करै छै। ऐसनो मानलो जाय छै कि ई ओहे पर्वत छेकै, जेकरा प देवता सिनी आरू असुरो नँ एग दाफी समुद्र मंथन करनै छेलै। मकर संक्रांति के अवसर प यहाँ मेला के भी आयोजन करलो जाय छै, जे लगभग पंद्रह दिना तलक चललो छेलै। मंदार पर्वत सँ लोगो के मान्यता सिनी बहुत्ते तरह सँ जुड़लो छै। हिंदू लेली ई पर्वत भगवान विष्णु केरो पवित्र आश्रय स्थल छै, त जैन धर्म क मानै वाला लोग ई प्रसिद्ध तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य सँ जुड़लो मानलो जाय छै। आदिवासी सिनी लेली मंदार पर्वत एगो सिद्ध क्षेत्र छेकै जहाँ वू हर साल 13 जनवरी के रात के रात भर राम-लक्ष्मण केरो अभ्यास करै छै। ई सबसँ बड़ौ संताली मेला छेकै जहाँ हर साल एक लाख सँ जादा लोग (सफा संप्रदाय के अनुयायी) रात भर लेली आबै छै। ई संप्रदाय के स्थापना बाबा चंदर दास नँ करने छै । बौंसी मँ लगै वाला प्राचीन बौंसी मेला क अबय 'राज्य मेला' के दर्जा मिली गेलो छै ।

बौंसी रेल आरू सड़क मार्ग सँ जुड़लो बिहार राज्य केरो एगो महत्वपूर्ण जग्घो छेकै। यहाँ हर साल आयोजित होय वाला मेला के इतिहास बड्डी पुरानो छै । ई मेला मँ आदिवासी आरू गैर-आदिवासी एक साथ बड़ा पैमाना पर मेला के आनंद लै छै। मेला केरो मुख्य आकर्षण काला ग्रेनाइट पत्थर सँ बनलो सात सौ फीट ऊंचा मंदार पर्वत ऱहै छै। ई बौंसी सँ लगभग दू किलोमीटर उत्तर मँ स्थित छै, जेकरा सँ जुड़लो बहुत्ते किंवदंती आम जन मन सहित पौराणिक किताबो सिनी मँ दर्ज छै। समुद्र मंथन केरो पौराणिक गाथा सँ जुड़लो हो. के कारण एकरो विशेष महत्व छै। मंदार के चट्टानौ प उकेरलो गेलो सैकड़ों प्राचीन मूरती, गुफा सब, ध्वस्त चैत्य आरू मंदिर धार्मिक आरू सांस्कृतिक गौरव के मूक गवाह छै। विभिन्न पुराणो, ऐतिहासिक आरू धार्मिक ग्रंथो मँ मंदार के नाँव बहुत्ते दाफी ऐलो छै । स्कंद पुराण मँ त एगो अलग अध्याय छै जेकरा मंदार महात्म्य कहलो जाय छै। मंदार वैष्णव संप्रदाय केरो प्रमुख केंद्र मानलो जाय छै। प्रसिद्ध वैष्णव संत चैतन्य महाप्रभु नँ भी बहुत्ते स्थानो पर मंदार पर्वत के चर्चा करले छै। समुद्र मंथन के कथा महाभारत के आदि पर्व के 18वाँ अध्याय मँ भी छै। महाभारत के अनुसार, देवता आरू दानवें नँ भगवान विष्णु सँ प्रेरित मेरु पर्वत प बहुत विचार-विमर्श के बाद समुद्र मंथन करनै रहै।

एकरो देखॉ[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]