भगवद्गीता
भगवद्गीता साँचा:एक स्रोत साँचा:Infobox religious text साँचा:हिंदू शास्त्र आरू ग्रंथ
महाभारत युद्ध आरम्भ होय के ठीक पहीने भगवान श्रीकृष्ण न अर्जुन क जे उपदेश लेलकै उ श्रीमद्भगवद्गीता के नाम स प्रसिद्ध छै यई महाभारत के भीष्मपर्व के अंग छीकै। गीता मं 18 अध्याय आरू 700 श्लोक छै।[१]आज से (सन 2023) लगभग 4500 वर्ष (2175 ई.पू.) पहले गीता के ज्ञान बोल्लो गेलो छेलै। गीता के गणना प्रस्थानत्रयी मं करलो जाय छै, जेकरा मं उपनिषद् आरू ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित छै। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता के स्थान वही छै जे उपनिषद् आरू धर्मसूत्र के छीकै। उपनिषद क गौ (गाय) आरू गीता क होकरा दुग्ध कहलो गेलो छै। हेकरो तात्पर्य ई छै कि उपनिषद के जे अध्यात्म विद्या छेलै, होकरा गीता सर्वांश मं स्वीकार करै छै। उपनिषदों की अनेक विद्याएँ गीता में हैं। जैसे, संसार के स्वरूप के संबंध में अश्वत्थ विद्या, अनादि अजन्मा ब्रह्म के विषय में अव्ययपुरुष विद्या, परा प्रकृति या जीव के विषय में अक्षरपुरुष विद्या और अपरा प्रकृति या भौतिक जगत के विषय में क्षरपुरुष विद्या। इस प्रकार वेदों के ब्रह्मवाद और उपनिषदों के अध्यात्म, इन दोनों की विशिष्ट सामग्री गीता में संनिविष्ट है। उसे ही पुष्पिका के शब्दों में ब्रह्मविद्या कहा गया है।[२]
महाभारत के युद्ध के समय जब अर्जुन युद्ध करने से मना करते हैं तब श्री कृष्ण उन्हें उपदेश देते है और कर्म व धर्म के सच्चे ज्ञान से अवगत कराते हैं। श्री कृष्ण के इन्हीं उपदेशों को “भगवत गीता” नामक ग्रंथ में संकलित किया गया है।