दहेज प्रथा
दहेज के मतलब होवे छे ऊ रंग के संपत्ति जे दुल्हिन के परिवार दूल्हा के देलो जाय छे। दहेज के उर्दू म जहेज़ कहलो जाय छे। यूरोप, भारत, अफ्रीका आरो दुनिया दोसरऽ हिस्सा म हेक्कर नामो इतिहास छे। भारतोम दहेज के दहेज, हुँडा नय ते वर-दक्षिणा क नां भी छे। आरो हेकरा म दुल्हिन के परिवार पैसा नय ते समान दूल्हा के दुल्हिन कें साथे दय छे। आय के आधुनिक समाजोम ई प्रथा खूभे फैल्लो छे। पिछड़ा समाज में ते ई विकराल रूप में छे।
दहेज लेली मार-काट
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]देसोम करीब बेरी घंटा एगो जनानी दहेज से जुड़ल कारन से मरे छे। 2007 से लय के 2011 के बिच्चा म ई रंग के मामला खूब बढ़ी गेल छेले। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ा के हिसाब सें 2012 म अलग अलग राज्योम 8,233 दहेज से जुड़ल मार काट के मामला होले। ई आँकड़ा क हिसाब से एक घंटा म एगो जनानी दहेज कारन मरे छे।
अंगिका संस्कृति म
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]अंग छेत्र भी दहेज प्रथा स अलग नय रहलो छे। अंगिका बिहा सन्ही म भी दहेज बारे गीत होवे छे, जेकरा म दहेज कारन लड़की आरो होक्कर पोर-परिवार के जे दुख होवे छे होकरा बारे म गाना छे[१]। जेसें की अंगिका लोकगीत 'रिमी झिमी पनिया' क बोल छे:
"रिमी झिमी पनिया बरसे हे,
रिमी झिमी बूंदा बरसे हे,
एंगना ही भींजले, एंगना ही भींजले भींजले
ओसरवो भींजले।
भींजी गेले बाबा के पगड़ियो हे।"
हेकरा म लड़की के बाबा के दहेज लेली किरंग पानी पानी होवेल लागे छे होक्कर बखान छे।