कॉर्नेलिया सोराबजी

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१९५४ सँ पहिने कार्नेलिया सोराबजी

कॉर्नेलिया सोराबजी (15 नवंबर 1866 - 6 जुलाई 1954) एगो भारतीय महिला छेलै, जे बॉम्बे विश्वविद्यालय सें पहलऽ महिला स्नातक, ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कानून केरऽ अध्ययन करै वाली पहलऽ महिला छेलै [१][२](वास्तव में, कोय भी ब्रिटिश विश्वविद्यालय में अध्ययन करै वाली पहलऽ भारतीय राष्ट्रीय[३]), भारत म॑ पहलऽ महिला वकील [3], आरू भारत आरू ब्रिटेन में कानून केरऽ अभ्यास करै वाली पहलऽ महिला । 2012 म॑, लंदन केरऽ लिंकन-इन म॑ उनकऽ प्रतिमा केरऽ अनावरण करलऽ गेलऽ छेलै ।[४]

हुनी समाज सुधारक आरू लेखिका भी छेलै।

जीवनी[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]

२०१२ में लिया गया लिंकन इन में कॉर्नेलिया सोराबजी का बस्ट, ग्रेशम कॉलेज

15 नवम्बर 1866 को नासिक में जन्मीं कार्नेलिया 1892 में नागरिक कानून की पढ़ाई के लिए विदेश गयीं और 1894 में भारत लौटीं. उस समय समाज में महिलाएं मुखर नहीं थीं और न ही महिलाओं को वकालत का अधिकार था। पर कार्नेलिया तो एक जुनून का नाम था। अपनी प्रतिभा की बदौलत उन्होंने महिलाओं को कानूनी परामर्श देना आरंभ किया और महिलाओं के लिए वकालत का पेशा खोलने की माँग उठाई. अंतत: 1907 के बाद कार्नेलिया को बंगाल, बिहार, उड़ीसा और असम की अदालतों में सहायक महिला वकील का पद दिया गया। एक लम्बी जद्दोजहद के बाद 1924 में महिलाओं को वकालत से रोकने वाले कानून को शिथिल कर उनके लिए भी यह पेशा खोल दिया गया। 1929 में कार्नेलिया हाईकोर्ट की वरिष्ठ वकील के तौर पर सेवानिवृत्त हुयीं पर उसके बाद महिलाओं में इतनी जागृति आ चुकी थी कि वे वकालत को एक पेशे के तौर पर अपनाकर अपनी आवाज मुखर करने लगी थीं। यद्यपि 1954 में कार्नेलिया का देहावसान हो गया जब वह लंदन में थी, पर आज भी उनका नाम वकालत जैसे जटिल और प्रतिष्ठित पेशे में महिलाओं की बुनियाद है।

लेखन[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]

समाज सुधार तथा कानूनी कार्य के अलावा उन्होने अनेकों पुस्तकों, लघुकथाओं एवं लेखों की रचना भी कीं।

  • 1902: Love and Life behind the Purdah (short stories concerning life in the zenana (women’s domestic quarters), it is one of the most extensive ethnographic studies of purdahnashins to date)
  • 1904: Sun-Babies: studies in the child-life of India
  • 1908: Between the Twilights: Being studies of India women by one of themselves (details many of her legal cases while working for the Court of Wards); Social Relations: England and India
  • 1916: Indian Tales of the Great Ones Among Men, Women and Bird-People (legends and folk tales)
  • 1917: The Purdahnashin (works on women in purdah)
  • 1924: Therefore (memoirs of her parents)
  • 1930: Gold Mohur: Time to Remember (a play)
  • 1932: A biography of her educationist sister, Susie Sorabji

उन्होने दो आत्मकथाएँ भी लिखीं - India Calling (1934) तथा India Recalled (1936).

सन्दर्भ[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]

साँचा:संसूची

बाहरी कड़ी[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]

  • Cornelia Sorabji images Link to images of Sorabji at the National Portrait Gallery website
  • Mother India Link to a copy of Katherine Mayo's, Mother India, available through Australia's Project Gutenberg

साँचा:हिन्द केरऽ बेटी

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