उबटन
उबटन भंसाक समान जेसें बेसन, हरदी, मधु, के लेप के कहलो जाय छे। हेकरा मूंह नय ते देह के चमड़ी ऊपर लगयलो जाय छे। हेक्कर नां सोलह शृंगारोम छे। हेकरा घरोम कोय चीज के बुकनी, जेसें की चॉर नय ते बूट, जेकरा कुछू स गिल्लो करलो जाय छे, जेसें की तेल, दूध, नय ते पानी।
बिहा घरी उबटन के रसम
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]बिहा घरी दुल्हिन कें उबटन के लेप लगाना जोर्री होवे छे। उत्तरी भारत के दोसरो हिस्सा म हेकरा 'हल्दी' कहलो जाय छे। बिहा लेली तैयार करलो उबटन म हरदी, करुआ तेल आरो बेसन होवे छे। ई लेप फेरु दुल्हिन कें मूंह, भरी हाथ, आरो गोड़ के ठेहुना तक लगयलो जाय छे। मानलो जाय छे बिहा सें पहिलें उबटन लगयलें दुल्हिन के सुंदरता बढ़े छे आरो बिहा घरी सोभे छे।
अंगिका संस्कृति म
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]अंग प्रदेश के बिहा सन्ही म उबटन के बहुत महत्व छे। हेकरा बिहा के जरूरी हिस्सा मानलो जाय छे। ई दिन घर के जनानी, दुल्हिन केरो मौसी, चाची सन्ही जोरे मिलिक गीत उठावे छे। अंगिका लोकगीत के बहुत रंग के 'संस्कार गीत' म उबटन गीत भी होवे छे, ई जनेऊ के भित्तर होवे छे।[१] येहे रंग एगो अंगिका लोकगीत छे 'कथी कटोराम उबटना घोरयलों', जेक्कर बोल ई रंग छे:
कथी कटोराम उबटना घोरयलों।
कथी कटोराम उबटना घोरयलों।
कथी कटोराम करुआ तेल से उबटन घोरलों।
कथी कटोरऽ करुआ तेल-स उबटना घोर,
सोना के उबटन घोरल,
सोना कटोरा-म उबटना घोरयलों,
सोना कटोरा-म उबटना घोरयलों।
रुपें कटोरा करुआ तेल-स उबटन घोरयलों,
रूपी कटोरऽ करुआ तेल-स उबटन घोरलों...