अज़रबैजान
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आज़रबाइजान(अन्य वर्तनी:अज़रबैजान या अज़रबाइजान) (साँचा:Lang-az), कॉकेशस केरौ पूर्वी भाग मँ एगो गणराज्य छेकै । जे पूर्वी यूरोप आरू एशिया केरौ मध्य मँ बसलौ छैै । भौगोलिक रूप से यह एशिया का ही भाग है। इसके सीमांत देश हैं: अर्मेनिया, जॉर्जिया, रूस, ईरान, तुर्की और इसका तटीय भाग कैस्पियन सागर से लगता हुआ है। यह १९९१ तक भूतपूर्व सोवियत संघ का भाग था।
अज़रबैजान एक धर्मनिरपेक्ष देश है और वर्ष २००१ से काउंसिल का सदस्य है। अधिकांश जनसंख्या इस्लाम धर्म की अनुयायी है और यह देश इस्लामी सम्मेलन संघ का सदस्य राष्ट्र भी है। यह देश धीरे-धीरे औपचारिक लेकिन सत्तावादी लोकतंत्र की ओर बढ़ रहा है।
नामोत्पत्ति
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]"अज़रबैजान" नाम के उद्गम को लेकर कई प्रकार की अवधारणाएँ है। सबसे प्रचलित प्रमेय यह है कि यह नाम "अट्रोपटन" शब्द से निकला है। अट्रोपट फ़ारसी अकामीनाईड राजवंश के समय में एक क्षत्रप था, जिसे सिकंदर महान ने आक्रमण करके परास्त किया और अट्रोपटन को स्वाधीनता मिली। उस समय यह क्षेत्र मीदिया अट्रोपाटिया या अट्रोपाटीन के नाम से जाना जाता था।
इस नाम की मूल उत्पत्ति की जड़ें प्राचीन ईरानी पंथ, पारसी धर्म में मानी जाती हैं। आवेस्ता के एक दस्तावेज़ में इस बात का उल्लेख है "âterepâtahe ashaonô fravashîm ýazamaide", प्राचीन फ़ारसी में जिसका शाब्दिक अनुवाद है "पवित्र अटारे-पटा के फ़्रावशी की हम वंदना करते हैं"। अट्रोपटनों ने अट्रोपटन (वर्तमान ईरानी अज़रबैजान) क्षेत्र पर शासन किया। "अट्रोपटन" नाम स्वयं एक प्राचीन-ईरानी, संभवतः मीदन, का यूनानी ध्वन्यात्मक युग्म है, जिसका अर्थ है "पवित्र अग्नि द्वारा रक्षित"।
इतिहास
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]अज़रबैजान में प्रारंभिक मानव बस्तियों के चिह्न पाषाण युग के बाद के दिनों के हैं। ५५० ईसापूर्व में एक्यूमेनिडा राजवंश ने इस क्षेत्र पर विजय प्राप्त की थी, जिससे पारसी धर्म का उदय हुआ और बाद में यह क्षेत्र सिकंदर महान के साम्राज्य का भाग बना और बाद में उसके उत्तराधिकारी, सेलियूसिडा साम्राज्य का। अल्बानियाई कॉकेशन लोगों ने चौथी शताबदी ईसापूर्व में इस क्षेत्र में एक स्वतंत्र राजशाही की स्थापना की, लेकिन ९५-६७ ईसापूर्व में टिगरानीस २ महान ने इसपर अधिकार कर लिया।
यह भी देखिए
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]- अज़रबैजान (विक्षनरी)