अखाड़ी पूजा
अखाड़ी पूजा नय ते अखारी पूजा भारत केरो उत्तर राज्य सनही म मनइलो जाय छे[१]। ई पूजा असाढ़ कें महीना म होवे छे। हेकरा असाढ़ी पूजो कहलो जाय पारे। ई पूजा म काली आरो गाँव बहियार के आरो माता क पूजा करलो जाय छे। ई पूजा म पाठा, सूगर, कबूत्तर, नय ते मुर्गा के बली पड़े छे।
इतिहास
[संपादन | स्रोत सम्पादित करौ]ई पूजा के सुरुआत कलकत्ता क काली घाट वाला मंदिर मानलो जाय छे। ई पूजा बारे मानलो जाय छे की ई काली माय के खुस करे लेली करलो जाय छे। ई तहिया क बात छे जहिया राक्षस के बध करे लेली काली माय अवतार लेले छेले। राक्षस सन्ही क बध करे क बाद हुन्ही आदमी सन्ही के भी मारे लागले। ते सिव भगवान हेक्कर ई हल निकाललके की हुन्ही काली माय के रस्ता पर चितांग होय के सुती गेले। जखनी काली माय रस्ता स पार होवे छेले, हुंनखर गोड़ सिव भगवान के छाती पर लागी गेले, ते हुन्ही जीह निकाली देल्के। हुंनखर गोस्सा तनी सांत ते होय गेले, लेकिन खून के प्यास अखनियो छेले। हेक्कर हल ई निकल्ले की हुंनखा पाठा के बली पड़े[२]। येहे लेली हर साल अखाड़ी पूजा मनयलो जाय छे।