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भूविज्ञान

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पृथ्वी के भूवैज्ञनिक क्षेत्र

पृथ्वी स सम्बंधित ज्ञान ही भूविज्ञान कहलावै छै।भूविज्ञान या भौमिकी (Geology) उ विज्ञान छीकै जेकरा म ठोस पृथ्वी[] का निर्माण करने वाली शैलों तथा उन प्रक्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनसे शैलों, भूपर्पटी और स्थलरूपों का विकास होता है। इसके अंतर्गत पृथ्वी संबंधी अनेकानेक विषय आ जाते हैं जैसे, खनिज शास्त्र, तलछट विज्ञान, भूमापन और खनन इंजीनियरी इत्यादि।

हेकरो अध्ययन बिषय म स ऐगो मुख्य प्रकरण उन क्रिया के विवेचना छीकै, जे चिरंतन काल स भूगर्भ म होतें चल्लो आबी रहलो छै। आरू हेकरो फलस्वरूप भूपृष्ठ के रूप निरंतर परिवर्तित होतें रहै छै, यद्यपि होकरो गति साधारणतया बहुत ही मंद होय छै। अन्य प्रकरण म पृथ्वी के आयु, भूगर्भ, ज्वालामुखी क्रिया, भूसंचलन, भूकंप आरू पर्वतनिर्माण, महादेशीय विस्थापन, भौमिकीय कालजलवायु परिवर्तन आरू हिम युग विशेष उल्लेखनीय छै।

भूविज्ञान में पृथ्वी की उत्पत्ति, उसकी संरचना तथा उसके संघटन एवं शैलों द्वारा व्यक्त उसके इतिहास की विवेचना की जाती है। यह विज्ञान उन प्रक्रमों पर भी प्रकाश डालता है जिनसे शैलों में परिवर्तन आते रहते हैं। इसमें अभिनव जीवों के साथ प्रागैतिहासिक जीवों का संबंध तथा उनकी उत्पत्ति और उनके विकास का अध्ययन भी सम्मिलित है। इसके अंतर्गत पृथ्वी के संघटक पदार्थों, उन पर क्रियाशील शक्तियों तथा उनसे उत्पन्न संरचनाओं, भूपटल की शैलों के वितरण, पृथ्वी के इतिहास (भूवैज्ञानिक कालों) आदि के अध्ययन को सम्मिलित किया जाता है।

  1. भूविज्ञान, एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका, (अंग्रेजी में), अभिगमन तिथि ०१-०९-२०१४