चेन्हो


प्रतीक एगो चेन्हो, निशान या शब्द होय छै जे कोनो विचार, चीज, संबंध या गणितीय सूत्र कें संकेत केरो प्रतिनिधित्व करै छै। प्रतीक लोग कें अलग-अलग धारणा आरू अनुभव के बीच संबंध स्थापित करी कें, जानलो या देखलो गेलो चीज सें आगू जाय के मौका दै छै। सब संचार प्रतीक के उपयोग सें होय छै: जेना कि, एकटा लाल अष्टकोण "रुकौ (STOP)" के एक ठो आम प्रतीक छेकै; नक्शा प, नीला रेखा अक्सर नदी केरो प्रतिनिधित्व करै छै; आरू एकटा लाल गुलाब अक्सर प्रेम आरू दया के प्रतीक होय छै। अंक संख्या के प्रतीक होय छै; वर्णमाला के अक्षर कुछो ध्वनि के प्रतीक हुअय सकै छै; आरू व्यक्तिगत नाम व्यक्ति केरो प्रतिनिधित्व करै वाला प्रतीक होय छै। प्रतीक के शैक्षणिक अध्ययन कें सांकेतिकी (सेमिओटिक्स) कहलौ जाय छै।
कला मँ, प्रतीकवाद कोनो अमूर्त विचार क देखाबै लेली कोनो ठोस तत्व केरौ उपयोग छेकै। मानचित्रकला मँ, प्रतीको के एगो संगठित संग्रह कोनो मानचित्र केरो आख्यान बनाबै छै।
'शब्द प्रतीक' उत्तर मध्य फ़्रांसीसी के पुल्लिंग संज्ञा symbole सँ निकलल छै, जे लगभग १३८० ई. मे एगो धार्मिक अर्थ मे सामने आयल, जेकर मतलब 'एगो सूत्र' होय छेलै जेकर उपयोग रोमन कैथोलिक चर्च मे 'सिद्धांत' के पर्याय रूप मे करलऽ जाय छेलै; विस्तार सँ, शुरुआती पुनर्जागरण काल मे एकरऽ मतलब 'एगो कहावत' या 'कोनो संस्कार के बाहरी संकेत' होय गेलै; ई सब अर्थ धर्मनिरपेक्ष संदर्भ मे खत्म होय गेलै।
पुनर्जागरण काल के दौरान ही, १६वीं शताब्दी के मध्य मे ई शब्द ओ अर्थ ग्रहण करलकै जे आजु प्रचलित छै, यानी 'एगो प्राकृतिक तथ्य या वस्तु जे अपनऽ रूप या प्रकृति सँ कोनो अमूर्त या अनुपस्थित चीज के साथ विचारऽ के जुड़ाव पैदा करै छै'; उदाहरण के लेली, ई १५५२ ई. मे फ़्राँस्वा रबेलैस के किताब ले क्वार्ट लिवरे मे नजर आवै छै।
ई फ़्रांसीसी शब्द लैटिन सँ आयलऽ छै, जहाँ पुल्लिंग संज्ञा symbolus आरू नपुंसकलिंग संज्ञा symbolum दुनु "पहचान के साधन के रूप मे एगो चिह्न या संकेत" के संदर्भित करै छै।
ई लैटिन शब्द प्राचीन यूनानी शब्द (sýmbolon) स लेलो गेलो छै, जेकरो मतलब होय छै 'जौरो करी क राखौ', 'तुलना करौ'। ई चीनी माटी के एगो टुकड़ा क दुइ भाग मँ तोड़ी क आधो वू व्यक्ति क दै केरो शास्त्रीय प्रथा क इशारा करै छै जे भविष्य मँ संदेश प्राप्त करतै आरू आधा वू व्यक्ति क जे ओकरा भेजतै: जबअ दूनू पूरी तरह स॑ एक साथे फिट होय जाय छै, त॑ प्राप्तकर्ता क॑ ई बात के पुष्टि होय जाय छै कि जे संदेश ल॑ क॑ एलऽ छै, ओ सही म॑ इच्छित व्यक्ति के वास्तविक संदेश ल॑ क॑ एलऽ छै। ककरोऽ दोसरऽ चीज के "बाहरी संकेत" के रूप म॑ एगो साहित्यिक या कलात्मक प्रतीक, प्रेषक स॑ प्राप्तकर्ता तलक संदेश के एही धारणा के एगो रूपकात्मक विस्तार छै। अंगरेजी म॑, "कुछुओ जे ककरोऽ दोसरऽ चीज के प्रतीक होय" के मतलब पहिलऽ बार 1590 म॑ एडमंड स्पेंसर केरऽ "फेयरी क्वीन" म॑ दर्ज करलऽ गेलऽ छेलै।
ई लैटिन शब्द प्राचीन यूनानी शब्द सिम्बोलॉन (sýmbolon) सँ ऐलो छै, जेकरो मतलब होय छै 'एक साथें रखौ' या 'तुलना करौ'।
ई उ पुरानौ रिवाजौ के इशारा करै छै कि एगो माटी के टुकड़ा क दू भाग मँ तोड़ी क, आधा ओकरा देलो जाय छै जेकरा भविष्य मँ सन्देश मिलतै, आरू आधा ओकरा जे भेजतै: जबअ दुनू टुकड़ा पूरा-पूरी सटी जाय छै, त सन्देश पाबै वला क पक्का भरोसा होय जाय छै कि ई लानै वला संदेशवाहक सही मँ ओकरा पासैं सही आदमी केरौ सही संदेश लानलकै।
कोनो भी दोसरो चीज केरौ "बाहरी निशान" के रूप मँ, साहित्य या कला केरौ प्रतीक (सिंबल), भेजै वला सँ पाबै वला तलक संदेश केरौ ई विचार केरौ एगो रूपक (मेटफोरिकल) विस्तार छेकै।
अंग्रेजी मँ, "कोनो ऐन्हो चीज जे कोनो आरू चीज केरौ प्रतीक होय" के मतलब सबसें पहलें 1590 मँ एडमंड स्पेंसर केरौ "फेयरी क्वीन" किताब मँ दर्ज करलो गेलो छेलै।